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शुक्रवार, 11 जून 2021

ईदगाह कहानी का सार


                         ईदगाह 
                                                                       प्रेमचंद
इसके लेखक प्रेमचंद जी है |कहानी के माद्यम से हमें पाठ का परिचय दियागया |सन १८८०,जुलाई ३ मेकाशी में एक गरीब घराने आपका जन्म हुआ |इनके बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था |नौकरी करते हुए इन्होने बी. ए. पास किया |इन्हें "उपन्यास सम्राट" भी कहा जाता है |इनकी कहानिया मानसरोवर शीर्षक से आठ खंडो में संकलित है |

गोदान ,सेवासदन ,निर्मला आदि इनके प्रमुख उपन्यास है |बढे घरकी बेटी ,कफन आदि प्रमुख है यह कहानी मुसलमानो के पवित्र त्योहार रमजान पर आधारित हैं|रमजान के दिन मुसलमान परिवारों में विसेश्कर बच्चों में अधिक उस्थाह दिखाई देती है |सभी बहोत प्रसन्न थे |हामिद बहोत प्रसन्न था |वह चार-पांच साल का गरीब सूरत का दुबला पतला लड़का था |उसके माता - पिता नै है |उपनी बूढी दादी अमीना के साथ रहता था |ईद के दिन दादी बहोत दुखी है कि उस दिन उनके घर में एक दाना भी खाने केलिए नहीं था |

हामिद को अकेला ईद गाह गाना पद रहा है |ईद गाह के पास खूब खरीद दारी चल रही है |हामिद मेले में एक चिमटा खरीद कर उपने दादी केलिए लाता है|उपने लिए खिलोने ,मिठाई न लेकर दादी केलिए चिंता ले आता है ताकि दादी की रोटी बनाते समय हाथ ना जले यह कहानी छोटे बच्चों के मन में बड़ों के प्रति सहानुभूति और प्रेम की भावना की व्याख्या करती है

मंगलवार, 29 सितंबर 2020

विद्याधर गुरुजी




30 सितम्बर/जन्म-दिवस 

कर्नाटक में हिन्दी के सेवक विद्याधर गुरुजी भारत में देववाणी संस्कृत के गर्भ से जन्मी सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं, फिर भी सबसे अधिक बोली और समझी जाने के कारण हिन्दी को भारत की सम्पर्क भाषा कहा जाता है। भारत की एकता में हिन्दी के इस महत्व को अहिन्दी भाषी प्रान्तों में भी अनेक मनीषियों ने पहचाना और विरोध के बावजूद इसकी सेवा, शिक्षण व संवर्धन में अपना जीवन खपा दिया।


ऐसे ही एक मनीषी हैं श्री विद्याधर गुरुजी। उनका जन्म ग्राम गुरमिठकल (गुलबर्गा, कर्नाटक) में 30 सितम्बर, 1914 को एक मडिवाल (धोबी) परिवार में हुआ था। यद्यपि आर्थिक स्थिति सुधरने से इनके पिता एवं चाचा अनाज का व्यापार करने लगे थे; पर परिवार की महिलाएँ दूसरों के कपड़े ही धोती थीं। ऐसे अशिक्षित, लेकिन संस्कारवान परिवार में विद्याधर का बचपन बीता।


1931 में जब भगतसिंह को फाँसी हुई, तो विद्याधर कक्षा सात में पढ़ते थे। उन्होंने अपने साथियों के साथ गाँव में जुलूस निकाला। इस पर उन्हें पाठशाला से निकाल दिया गया। 1938 में जब आर्य समाज ने निजामशाही के विरुद्ध आन्दोलन किया, तो इन्होंने उसमें बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इससे निजाम शासन ने इनके विरुद्ध वारण्ट जारी कर दिया। आर्य नेता श्री बंसीलाल ने इन्हें लाहौर जाकर पढ़ने को कहा। वहाँ दयानन्द उपदेशक महाविद्यालय, अनारकली से इन्होंने ‘सिद्धान्त शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त की।


1942 में जब ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ हुआ, तो ये उसमें कूद पड़े। इस प्रकार वे निजाम और अंग्रेज दोनों की आँखों के काँटे बन गये; पर वे कभी झुके या दबे नहीं। स्वतन्त्रता के बाद हैदराबाद और कर्नाटक को जब निजामशाही से मुक्ति मिली, तो विद्याधर जी कांग्रेस से जुड़ गये और नगरपालिका के सदस्य बने। 1962 में श्री राजगोपालाचारी की स्वतन्त्र पार्टी की ओर से चुनाव जीतकर वे गुरमिठकल से ही विधान सभा में पहुँच गये।


उनकी इच्छा स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद ही विवाह करने की थी; पर होसल्ली के ग्राम-प्रधान ने बताया कि उनके गाँव में पिछड़े वर्ग की एक लड़की पढ़ना चाहती है। घर की निर्धनता को देखकर पादरी दबाव डाल रहे हैं कि ईसाई बनने पर वे उसकी पढ़ाई का खर्चा उठा लेंगे। विद्याधर जी ने वहाँ जाकर पुरुषों को समझाकर यज्ञोपवीत संस्कार कराया। जब कन्या के पिता ने परिवार की निर्धनता और उसके विवाह की चर्चा की, तो विद्याधर जी स्वयं तैयार हो गये। उन्होंने विवाह के बाद अपनी पत्नी की पढ़ाई का पूरा प्रबन्ध किया। पत्नी ने भी उनके सामाजिक कार्यों में सदा सहयोग दिया।


1937 में गान्धी जी ने उन्हें हिन्दी के लिए काम करने को कहा। विद्याधर जी ने यादगिरी में छह पाठशालाएँ शुरू कर 8,000 बीड़ी मजदूरों को हिन्दी सिखाई। तबसे उनके नाम के साथ ‘गुरुजी’ जुड़ गया। वे हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद के 23 वर्ष तक अध्यक्ष रहे। विधानसभा और विधान परिषद में वे प्रायः हिन्दी में ही बोलते थे। 1962 में कर्नाटक के मुख्यमन्त्री रामकृष्ण हेगड़े ने उन्हें राज्यसभा में भेजने का प्रस्ताव किया; पर विद्याधर गुरुजी ने मना कर दिया।


प्राकृतिक चिकित्सा और सादगी प्रिय गुरुजी 93 वर्ष की अवस्था (2007 ई.) में भी पूर्ण स्वस्थ हैं। वे चश्मा नहीं लगाते, अंग्रेजी दवा नहीं खाते और बिना लाठी के चलते हैं। वे लिफ्ट का प्रयोग नहीं करते और सदा प्रसन्न रहते हैं। प्रभु से प्रार्थना है कि इसी प्रकार वे दीर्घकाल तक हिन्दी की सेवा करते रहें।


प्रखर देशभक्त सूफी अम्बाप्रसाद

 सितम्बर/पुण्य-तिथि 30सितंबर

सूफी अम्बाप्रसाद का जन्म 1858 में मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक सम्पन्न भटनागर परिवार में हुआ था। जन्म से ही उनका दाहिना हाथ नहीं था। कोई पूछता, तो वे हंसकर कहते कि 1857 के संघर्ष में एक हाथ कट गया था। मुरादाबाद, बरेली और जालंधर में उन्होंने शिक्षा पायी। पत्रकारिता में रुचि होने के कारण कानून की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर भी उन्होंने वकालत के बदले ‘जाम्मुल अमूल’ नामक समाचार पत्र निकाला। उनके विचार पढ़कर नवयुवकों में जागृति की लहर दौड़ने लगी।


सूफी जी विद्वान तो थे ही; पर बुद्धिमान भी बहुत थे। उन्हें पता लगा कि भोपाल रियासत में अंग्रेज अधिकारी जनता को बहुत परेशान कर रहा है। वे वेष बदलकर वहां गये और उसके घर में झाड़ू-पोंछे की नौकरी कर ली। कुछ ही दिन में उस अधिकारी के व्यवहार और भ्रष्टाचार के विस्तृत समाचार देश और विदेश में छपने लगे। अतः उसका स्थानांतरण कर दिया गया।


बौखलाकर उसने घोषणा की कि जो भी इस समाचारों को छपवाने वाले का पता बताएगा, उसे वे पुरस्कार देंगे। यह सुनकर सूफी जी सूट-बूट पहनकर पुरस्कार के लिए उसके सामने जा खड़े हुए। उन्हें देखकर वह चौंक गया। सूफी जी ने अंग्रेजी में बोलते हुए उसे बताया कि वे समाचार मैंने ही छपवाये हैं। उसका चेहरा उतर गया, फिर भी उसने अपने हाथ की घड़ी उन्हें दे दी।


1897 में उन पर शासन के विरुद्ध विद्रोह का मुकदमा चलाया गया। उन्होंने अपना मुकदमा स्वयं लड़ा, जिसमें उन्हें 11 वर्ष के कठोर कारावास का दंड दिया गया। वहां से छूटकर वे फिर स्वाधीनता की अलख जगाने लगे। इस पर उनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया।


जेल से छूटकर वे लाहौर आ गये और वहां से ‘हिन्दुस्तान’ नामक समाचार पत्र निकाला। जब वहां भी धरपकड़ होने लगी, तो वे अपने मित्रों के साथ नेपाल चले गये; पर शासन नेपाल से ही उन्हें पकड़कर लाहौर ले आया और पत्र निकालने के लिए उन पर मुकदमा चलाया। उनकी सारी पुस्तकें व साहित्य जब्त कर लिया गया; पर सूफी जी शासन की आंखों में धूल झोंककर ईरान चले गये और वहां से ‘आबे हयात’ नामक पत्र निकालने लगे। ईरान के लोग आदरपूर्वक उन्हें ‘आका सूफी’ कहते थे।


1915 में अंग्रेजों ने ईरान पर कब्जा करना चाहा। जिस समय शीराज पर घेरा डाला गया, तो ईरान के स्वतंत्रता प्रिय लोगों के साथ ही सूफी जी भी बायें हाथ में ही पिस्तौल लेकर युद्ध करने लगे; पर अंग्रेज सेना संख्या में बहुत अधिक थी और उनके पास अस्त्र-शस्त्र भी पर्याप्त थे। अतः वे पकड़े गये और उन्हें कारावास में डाल दिया गया। अंग्रेज उन्हें फांसी पर चढ़ाकर मृत्युदंड देना चाहते थे; पर सूफी जी ने उससे पूर्व ही 30 सितम्बर, 1915 को योग साधना द्वारा अपना शरीर छोड़ दिया।


थोड़े ही समय में यह समाचार सब ओर फैल गया। सूफी जी के प्रति लोगों में अत्यधिक श्रद्धा थी। अतः उनकी शवयात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।

स्वतन्त्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा

 29 सितम्बर/बलिदान-दिवस

भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी कदम से कदम मिलाकर संघर्ष किया था। मातंगिनी हाजरा एक ऐसी ही बलिदानी माँ थीं, जिन्होंने अपनी अशिक्षा, वृद्धावस्था तथा निर्धनता को इस संघर्ष में आड़े नहीं आने दिया। 


मातंगिनी का जन्म 1870 में ग्राम होगला, जिला मिदनापुर, पूर्वी बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में एक अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था। गरीबी के कारण 12 वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह ग्राम अलीनान के 62 वर्षीय विधुर त्रिलोचन हाजरा से कर दिया गया; पर दुर्भाग्य उनके पीछे पड़ा था। छह वर्ष बाद वह निःसन्तान विधवा हो गयीं। पति की पहली पत्नी से उत्पन्न पुत्र उससे बहुत घृणा करता था। अतः मातंगिनी एक अलग झोपड़ी में रहकर मजदूरी से जीवनयापन करने लगी। गाँव वालों के दुःख-सुख में सदा सहभागी रहने के कारण वे पूरे गाँव में माँ के समान पूज्य हो गयीं।


1932 में गान्धी जी के नेतृत्व में देश भर में स्वाधीनता आन्दोलन चला। वन्देमातरम् का घोष करते हुए जुलूस प्रतिदिन निकलते थे। जब ऐसा एक जुलूस मातंगिनी के घर के पास से निकला, तो उसने बंगाली परम्परा के अनुसार शंख ध्वनि से उसका स्वागत किया और जुलूस के साथ चल दी। तामलुक के कृष्णगंज बाजार में पहुँचकर एक सभा हुई। वहाँ मातंगिनी ने सबके साथ स्वाधीनता संग्राम में तन, मन, धन पूर्वक संघर्ष करने की शपथ ली।


मातंगिनी को अफीम की लत थी; पर अब इसके बदले उनके सिर पर स्वाधीनता का नशा सवार हो गया। 17 जनवरी, 1933 को ‘कर बन्दी आन्दोलन’ को दबाने के लिए बंगाल के तत्कालीन गर्वनर एण्डरसन तामलुक आये, तो उनके विरोध में प्रदर्शन हुआ। वीरांगना मातंगिनी हाजरा सबसे आगे काला झण्डा लिये डटी थीं। वह ब्रिटिश शासन के विरोध में नारे लगाते हुई दरबार तक पहुँच गयीं। इस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और छह माह का सश्रम कारावास देकर मुर्शिदाबाद जेल में बन्द कर दिया।


1935 में तामलुक क्षेत्र भीषण बाढ़ के कारण हैजा और चेचक की चपेट में आ गया। मातंगिनी अपनी जान की चिन्ता किये बिना राहत कार्य में जुट गयीं। 1942 में जब ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ ने जोर पकड़ा, तो मातंगिनी उसमें कूद पड़ीं। आठ सितम्बर को तामलुक में हुए एक प्रदर्शन में पुलिस की गोली से तीन स्वाधीनता सेनानी मारे गये। लोगों ने इसके विरोध में 29 सितम्बर को और भी बड़ी रैली निकालने का निश्चय किया।


मातंगिनी ने गाँव-गाँव में घूमकर रैली के लिए 5,000 लोगों को तैयार किया। सब दोपहर में सरकारी डाक बंगले पर पहुँच गये। तभी पुलिस की बन्दूकें गरज उठीं। मातंगिनी एक चबूतरे पर खड़ी होकर नारे लगवा रही थीं। एक गोली उनके बायें हाथ में लगी। उन्होंने तिरंगे झण्डे को गिरने से पहले ही दूसरे हाथ में ले लिया। तभी दूसरी गोली उनके दाहिने हाथ में और तीसरी उनके माथे पर लगी। मातंगिनी की मृत देह वहीं लुढ़क गयी।


इस बलिदान से पूरे क्षेत्र में इतना जोश उमड़ा कि दस दिन मंे ही लोगों ने अंग्रेजों को खदेड़कर वहाँ स्वाधीन सरकार स्थापित कर दी, जिसने 21 महीने तक काम किया। दिसम्बर, 1974 में प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी ने अपने प्रवास के समय तामलुक में मांतगिनी हाजरा की मूर्ति का अनावरण कर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।



शनिवार, 8 अगस्त 2020

राफेल दुश्मनों का काल

राफेल दुश्मनों का काल 



रोचक बात तो यह है कि राफेल दुश्मनों का सर्वनाश करने के लिए सबसे सशक्त हथियार है जो भारतीय सेना को दिन दुगनी रात चौगुनी शक्ति प्रदान करेगा यही कारण है कि चीन एक कदम ही नहीं सौ कदम हटने के लिए विवश है|

भारत एक महाशक्ति के रूप में उभरता हुआ देश   है

New Education Policy 2020)

 


New Education Policy 2020) 


कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है. 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है. नई शिक्षा नीति की उल्लेखनीय बातें सरल तरीके की इस प्रकार हैं: 


----5 Years Fundamental---

1.  Nursery    @4 Years 

2.  Jr KG        @5 Years

3.  Sr KG        @6 Years

4.  Std 1st     @7 Years 

5.  Std 2nd    @8 Years


---- 3 Years Preparatory---

6.  Std 3rd     @9 Years 

7.  Std 4th     @10 Years 

8.  Std 5th     @11 Years 


----- 3 Years Middle---

9.  Std 6th     @12 Years 

10.Std 7th     @13 Years 

11.Std 8th     @14 Years


---- 4 Years Secondary---

12.Std 9th     @15 Years 

13.Std SSC    @16 Years 

14.Std FYJC  @17Years 

15.STD SYJC @18 Years 


खास बातें :


----केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड। कॉलेज की डिग्री 4 साल की।10वीं बोर्ड खत्‍म। MPhil भी होगा बंद।


---- अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा. बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा।

 

----अब सिर्फ 12वींं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी. जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा।


----9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा (ऊपर का टेबल देखें)।


----कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी।


----3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में  MA कर सकेंगे।


---अब स्‍टूडेंट्स को  MPhil नहीं करना होगा. बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे.


----स्‍टूडेंट्स बीच में कर सकेंगे दूसरे कोर्स. हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा. वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है. 


----हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं. सुधारों में ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी आदि शामिल हैं. इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे. वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे. एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा. बता दें कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं.


----सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम।

सोमवार, 22 जून 2020

धोखेबाज चीन कायराना हरकत

                    आज पूरा विश्व  जिस समस्या से गुजर रहा है वह समय चीन के द्वारा पैदा की गई है ! क्योंकि कोरोना वायरस चीन की लैब में तैयार किया गया था यह बात पहले ही अमेरिका ने साफ कर दी है जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है चीन मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है जिसने  बिना हथियार चलाएं तीसरा विश्व युद्ध जीत लिया है क्योंकि चीन भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था से चिंतित है इसलिए  उसने  इस वायरस की मदद से पूरे विश्व पूरे विश्व कोमौत के कुए में डाल दिया है  और यह वायरस चीन के बीजिंग शहर तक नहीं पहुंचा परंतु पूरे विश्व में पहुंच गया है  डाल दिया है और चीन के बीच शहर तक नहीं पहुंचा परंतु पूरे विश्व में पहुंच गया  यह  चीन की चाल थी!

                     चीन ने समस्त देशों की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है और अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी  पर लाकर वह दूसरे देशों की सीमा में घुसने की चेष्टा कर रहा है क्योंकि चीन हमेशा अपनी सीमाओं का विस्तार करता रहता है इस महामारी के कारण सभी देश चिंतित हैं और चीन इसी का फायदा उठाना चाहता है भारत के लद्दाख में गलबान घाटी  है जिसमें भारत का अधिकार है और इस घाटी  मे भारत की सेना  गश्त  करती है!  इस गजबान घाटी में बिना हथियारों के गस्त की जाती  है यह समझौता भारत और चीन के बीच हुआ था ! परंतु 15 जून को चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों मे झड़प  हो गई जिसमें चीन ने भारतीय सैनिकों पर डंडों से हमला कर दिया जिससे कि भारत के 20 जवान शहीद हो गए और चीन के कम से कम 43 जवान मारे गए थे!

                     चीन की हरकत से भारत सरकार  व भारतीय लोगों में गुस्सा और भारत के लोग चीन के सामान का बहिष्कार कर रहे हैं जिससे कि चीन की औकात उसके ठिकाने  आ सके ! भारत सरकार ने चीन के साथ बिना हथियार की संधि को तोड़  दी है भारतीय सैनिक घाटी में हथियारों के साथ पेट्रोलिंग कर सकेंगे ! भारतीय सेना का पराक्रम देखकर चीन की जमीन खिसक गई है क्योंकि चीन के कैप्टन को भारत के जवानों ने घसीट कर भारत की  सीमा में  ले आए !  जिससे चीन परेशान हो गया था और उसने भारत के 10 सैनिकों को पकड़ लिया था वह भी छोड़ दिया है चीन भारत को 1962 का भारत ना समझे आज  2020 का भारत नया भारत है ! और मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत काफी तेजी से बढ़ रहा है !

                     भारत को आज  दुनिया एक विश्व गुरु के नाम से जानती है आज सभी देशों को मिलकर इस चीन को सबक सिखाना चाहिए   इसकी वजह से ही आज पूरा विश्व महामारी से जूझ रहा है  सभी देशों को चीन के सामान का बहिष्कार करना चाहिए ! ताकि इसकी अर्थव्यवस्था खत्म हो सके ! तभी इसकी कमर टूटेगी  सभी दे शों को चीन से अपनी सारी कंपनी हटा लेनी चाहिए!  ताकि इस को सबक सिखाया जा सके क्योंकि चीन सबसे बड़ा धोखेबाज है और कायर है  इसके विस्तार को रोकना होगा सभी देशों को मिलकर! तभी इस पृथ्वी का उद्धार होगा ! 

गुरुवार, 11 जून 2020

जल बचाओ जीवन बचाओ

                यह संसार ईश्वर की एक सर्वोत्तम कृति है इस समय मात्र पृथ्वी ग्रह पर ही जीवन है और किसी ग्रह पर नहीं है पृथ्वी पर मनुष्य जीव जंतु आदि निवास करते हैं और अपना स जीवन निर्वाह करते हैं जीवन जीने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है सभी लोग भोजन करते हैं और जीवन का आनंद उठाते हैं क्योंकि शरीर ऊर्जा से चलता है और ऊर्जा से भोजन से प्राप्त होती है परंतु जल एक ऐसा तत्व जिसके बिना कोई भी मनुष्य जीव जंतु जीवित नहीं रह सकता है इसलिए हमें जल का संरक्षण करना चाहिए क्योंकि जल है तो जीवन है अन्यथा पृथ्वी जल रहित हो जाएगी जल के बिना यह पर्यावरण भी नष्ट हो जाएगा और जीव जंतु मनुष्य का भी अंत हो जाएगा !

             इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पानी बचाना चाहिए ताकि भविष्य में पानी की समस्या ना हो पानी को बचाने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं :

 1. हमें नहाते समय ज्यादा पानी बेकार नहीं करना चाहिए बल्कि एक बाल्टी  मैं ही नहा लेना चाहिए !

 2.  हमें पीने के पानी  से पानी से गाड़ी सड़क आदि नहीं धोनी चाहिए!

3.  हमें हाथ धोते समय नल को खुला नहीं छोड़ना चाहिए जब जरूरत हो तभी प्रयोग करना चाहिए! 

 4.  हमें अपनी पानी की टंकी  को ओवरफ्लो नहीं होने देना चाहिए !

5. वर्षा के पानी का संरक्षण करना चाहिए ताकि भविष्य में उससे घर के काम व कृषि संबंधित कार्य की जा सके!

              इन उपरोक्त कारणों से हम  जल संरक्षित कर सकते हैं क्योंकि जल  बिना जीवन संभव नहीं है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को जल बचाने मैं अपना योगदान देना चाहिए भविष्य में जल की कमी ना होगी क्योंकि जल  के बिना जीवन असंभव है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान देना चाहिए क्योंकि भविष्य में  जिस देश  के पास जल होगा वही देश अमीर होगा !

शनिवार, 6 जून 2020

पेड़ लगाओ पृथ्वी बचाओ

             आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रहा है और जलवायु  मैं परिवर्तन होता जा रहा है क्योंकि पर्यावरण का तापमान बढ़ता जा रहा है जिससे पृथ्वी पर गर्मी बढ़ती जा रही है और धरती पर नई नई बीमारीयॉ  जन्म ले  रही है अधिक तापमान के कारण ओजोन परत में छेद हो गया है जिससे धरती पर घातक बीमारियां जन्म ले रही है जैसे कैंसर आदि पृथ्वी पर पृथ्वी पर देश एक दूसरे से विकास में होड़ लगा  रहे हैं विकसित देश अपनी नाभिकीय शक्ति को बढ़ाने के लिए दिन प्रतिदिन मिसाइलें आदि का प्रशिक्षण कर रहे हैं जिससे पृथ्वी पर खतरा बढ़ता जा रहा है मानव जाति  पर खतरा में मंडरा रहा है!

              विश्व में 3युद्ध विश्व हो चुके हैं इसी होड़ में देश एक-दूसरे से झगड़ रहे हैं धरती पर पानी की कमी हो रही है इससे बचने के लिए हमें वर्षा के पानी का संरक्षण करना चाहिए जिससे भविष्य में पानी बचाया जा सके ! इसलिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए जिससे कि बाढ को काबू में किया जा सके क्योंकि पेड़ बाढ़ का पानी सोख लेते हैं जिससे बाढ़ कम हो जाती है इसलिए अधिक से अधिक लगाने चाहिए ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके ! 

              यदि पेड़ नहीं होंगे तो मानव जाति भी नहीं होगी यदि धरती पर पेड़ पौधे होंगे ! तभी धरती पर मनुष्य जीवित रह सकता है इसलिए प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ लगाना चाहिए जिससे पर्यावरण का संतुलन बन सके जैसे पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए यदि कोई व्यक्ति पेड़ काटता है तो उसे दंड या सजा का प्रावधान होना चाहिए  पेड़ लगाने से ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाएगी आज प्रदूषण के कारण हवा जहरीली हो गई है जिससे बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए! 

             जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके इसलिए मैं सभी से हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा हूं कि प्रत्येक व्यक्ति को  अपने जीवन में  एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए जिससे पर्यावरण का संतुलन बन सके और भविष्य में ऑक्सीजन की कमी ना रहे और आने वाली पीढ़ी को जीवन मिल सके !

रविवार, 31 मई 2020

स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ

             आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है और यह महामारी पूरे विश्व में काफी तेजी से फैल रही है इस महामारी के कारण सभी देशों की GDP भी काफी नीचे जा रही है!  हमारा भारत  भी इस महामारी की मार झेल रहा है महामारी से भारत को काफी आर्थिक हुआ है इस महामारी के कारण  पूरे देश में लॉक डाउन रहा है जिससे हमारी आर्थिक स्थिति थोड़ी खराब हो गई है ! और इससे उबरने के लिए हमें अपने देश में निर्मित पदार्थों  को ही अपनाना होगा  जिससे देश की आर्थिक स्थिति और बल दोनों मजबूत होंगे भारत की स्वदेशी कंपनियां इस प्रकार है टाटा ,पतंजलि , रिलायंस इंडस्ट्रीज इत्यादि कोरोना महामारी के दौरान इन स्वदेशी कंपनियों ने पीएम केयर फंड में अपना सहयोग दिया जिससे कोरोना लोगों का इलाज किया गया फलतः काफी लोगों की जिंदगी भी बच पाई इसलिए स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ डॉक्टर की सलाह के अनुसार कोरोना बचने के लिए कुछ उपायों को अपनाना होगा !

 1.  सामाजिक  दूरी  (सोशल डिस्टेंस )कम से कम 6 फीट दूरी !

2 सैनिटाइजर का प्रयोग करना होगा ! 

3. इस महामारी से बचने के लिए इम्यूनाे सिस्टम ( रोग प्रतिरोधक क्षमता ) को मजबूत करना होगा क्योंकि  यह वायरस  हमारे इम्यूनो सिस्टम पर आक्रमण करता !इससे बचने के लिए हमें भोजन में खट्टे पदार्थ जैसे नींबू आंवला टमाटर आदि का सेवन करें हरी सब्जियां खाएं !मैदा से बने पदार्थों का सेवन ना करें !

4.  योग करें , व्यायाम करें ! 

5. गर्म पानी जैसे दूध चाय आदि का सेवन कम से कम दिन में 4 बार करें ! 

6.  ठंडा कुछ भी ना खाएं जैसे कोल्ड ड्रिंक जूस फ्रिज का ठंडा पानी इत्यादि ! 
           इन तरीकों से हम इस महामारी से बच सकते हैं इस महामारी ने  सभी देशों की आर्थिक स्थिति काफी खराब कर दी है भारत की भी स्थिति काफी खराब हो गई है और इससे भारत की जीडीपी काफी नीचे चली गई इससे उबरने के लिए हमें  स्वदेशी सामान को अपनाना होगा जिससे हमारे देश की आर्थिक स्थिति सुधर सके स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ !